सचिन तेंदुलकर ने किया बड़ा खुलासा, बैटिंग पर भेजने से पहले अपने बेटे से कही थी यह बात, जिस कारण अर्जुन ने ठोक दिया शानदार शतक

सचिन तेंदुलकर

हम सभी इस बात से अवगत है कि भारत में रणजी ट्रॉफी टूर्नामेंट का आगाज हो चूका है। क्रिकेट के भगवान कहे जाने वाले सचिन तेंदुलकर के बेटे अर्जुन तेंदुलकर ने अपना पहला डेब्यू रणजी ट्रॉफी में गोवा टीम की तरफ से खेलते हुए दिया है जिसमें उन्होने शानदार शतकिया पारी खेलकर भारतीय टीम के चयनकर्ताओं का ध्यान आपने ओर आकर्षित किया है. दिलचस्प बात तो यह है कि अर्जुन तेंदुलकर के पिता यानि कि सचिन तेंदुलकर ने रणजी ट्रॉफी टूर्नामेंट के अपने पहले मैच में भी शानदार शतक लगाया था। अर्जुन के शतक बनाने के बाद उनके पिता सचिन तेंदुलकर ने एक बात का बड़ा खुलासा किया है। आइए जानते हैं इसके बारे में……

बैटिंग से पहले सचिन ने अर्जुन को कहीं थी यह बात

इन्फोसिस कंपनी द्वारा आयोजित किए गए एक प्रोग्राम में होस्ट गौरव कपूर से बात करते हुए सचिन तेंदुलकर ने कहा की, “मुझे याद है कि जब मैंने भारत के लिए खेलना शुरू किया था तब मेरे पिता को ‘सचिन का पिता’ कहकर संबोधित किया था. फिर पापा के दोस्त ने उनसे पूछा की- आप कैसा महसूस कर रहे हैं..?”

अपने ब्यान में सचिन तेंदुलकर ने आगे कहा,

“अर्जुन पर दुनिया की निगाहें होने के कारण मेरा बेटा होने के नाते उसपर अनावश्यक दबाव डाला गया. अर्जुन जब खुद खेलता है तब वह बिल्कुल दवाब में नहीं होता है।”

भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व मास्टर ब्लास्टर के नाम से मशहूर सचिन तेंदुलकर ने मैच के पहले दिन के अंत में अपने बेटे अर्जुन के साथ हुई बातचित का खुलसा करते हुए कहा की, “मैंने उसे शतक जमाने को कहा था. वह पहले दिन का खेल खत्म होने तक 4 रन पर बल्लेबाजी कर रहा था, उसे टीम ने नाइटवॉचमैन के रूप में भेजा था. उसने मुझसे पूछा, ‘आपको क्या लगता है कि हम एक अच्छा टोटल कर पाएंगे ?” वे पांच विकेट खोकर 210 रन बना चुके थे. मैंने कहा- ‘कम से कम 375 तक जाने की जरूरत है.”

*उसने कहा की, “क्या आप इस बारे में श्योर हैं?’ मैंने जवाब दिया, ‘हां, तुम्हें आगे जाकर शतक बनाने की जरूरत है.”

सचिन ने फैन्स से की इस बात की अपील

आखिर में, सचिन ने पूछे गए सवाल का जवाब देते हुए कहा,

“उसे क्रिकेट से प्यार करने दो. उसे वो मौका मिलना चाहिए. मैंने कभी अपने पेरेंट्स से प्रैशर नहीं झेला, तो ऐसे में उसे भी उस दबाव में नहीं रखना चाहिए. मेरे पेरेंट्स ने मुझे अपने आपको एक्सप्रेस करने की आजादी दी थी. मेरे ऊपर उम्मीदों का दबाव नहीं था. मैं भी अपने बेटे से यही चाहता हूं.”

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